लेखनी कविता - सर में सौदा भी नहीं, दिल में तमन्ना भी नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी

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सर में सौदा भी नहीं, दिल में तमन्ना भी नहीं / फ़िराक़ गोरखपुरी सर में सौदा भी नहीं, दिल में तमन्ना भी नहीं लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं यूँ ...

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